फ्रीज में रखा आटा आमंत्रित करता है भूतों को :-
भोजन केवल शरीर को ही नहीं, अपितु मन-मस्तिष्क को भी गहरे तक प्रभावित
करता है। दूषित अन्न-जल का सेवन न सिर्फ आफ शरीर-मन को बल्कि आपकी संतति तक
में असर डालता है। ऋषि-मुनियों ने दीर्घ जीवन के जो सूत्र बताये हैं उनमें
ताजे भोजन पर विशेष जोर दिया है।
ताजे भोजन से शरीर निरोगी होने
के साथ-साथ तरोताजा रहता है और बीमारियों को पनपने से रोकता है। लेकिन जब
से फ्रीज का चलन बढा है तब से घर-घर में बासी भोजन का प्रयोग भी तेजी से
बढा है। यही कारण है कि परिवार और समाज में तामसिकता का बोलबाला है। ताजा
भोजन ताजे विचारों और स्फूर्ति का आवाहन करता है जबकि बासी भोजन से क्रोध,
आलस्य और उन्माद का ग्राफ तेजी से बढने लगा है।
शास्त्रों में कहा गया है कि बासी भोजन भूत भोजन होता है और इसे ग्रहण
करने वाला व्यक्ति जीवन में नैराश्य, रोगों और उद्विग्नताओं से घिरा रहता
है। हम देखते हैं कि प्रायःतर गृहिणियां मात्र दो से पांच मिनट का समय
बचाने के लिए रात को गूंथा हुआ आटा लोई बनाकर फ्रीज में रख देती हैं और
अगले दो से पांच दिनों तक इसका प्रयोग होता है। गूंथे हुए आटे को उसी तरह
पिण्ड के बराबर माना जाता है जो पिण्ड मृत्यु के बाद जीवात्मा के लिए
समर्पित किए जाते हैं।
किसी भी घर में जब गूंथा हुआ आटा फ्रीज में
रखने की परम्परा बन जाती है तब वे भूत और पितर इस पिण्ड का भक्षण करने के
लिए घर में आने शुरू हो जाते हैं जो पिण्ड पाने से वंचित रह जाते हैं। ऐसे
भूत और पितर फ्रीज में रखे इस पिण्ड से तृप्ति पाने का उपक्रम करते रहते
हैं।
जिन परिवारों में भी इस प्रकार की परम्परा बनी हुई है वहां
किसी न किसी प्रकार के अनिष्ट, रोग-शोक और क्रोध तथा आलस्य का डेरा पसर
जाता है। इस बासी और भूत भोजन का सेवन करने वाले लोगों को अनेक समस्याओं से
घिरना पडता है। आप अपने इष्ट मित्रों, परिजनों व पडोसियों के घरों में इस
प्रकार की स्थितियां देखें और उनकी जीवनचर्या का तुलनात्मक अध्ययन करें तो
पाएंगे कि वे किसी न किसी उलझन से घिरे रहते हैं।
आटा गूंथने में
लगने वाले सिर्फ दो-चार मिनट बचाने के लिए की जाने वाली यह क्रिया किसी भी
दृष्टि से सही नहीं मानी जा सकती। पुराने जमाने से बुजुर्ग यही राय देते
रहे हैं कि गूंथा हुआ आटा रात को नहीं रहना चाहिए। उस जमाने में फ्रीज का
कोई अस्तित्व नहीं था फिर भी बुजुर्गों को इसके पीछे रहस्यों की पूरी
जानकारी थी। यों भी बासी भोजन का सेवन शरीर के लिए हानिकारक है ही।
आइये आज से ही संकल्प लें कि आयन्दा यह स्थिति सामने नहीं आए। तभी आप और
आपकी संतति स्वस्थ और प्रसन्न रह सकती है और औरों को भी खुश रखने लायक
व्यक्तित्व का निर्माण कर सकती है।
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