हिन्दू धर्म
समस्त
संसार मे हिन्दू ही एक ऐसी जाति है, जिसने धार्मिक एवं दार्शनिक विचारो को
व्यवहारिक रुप दिया है। यही जाति प्रथ्वी पर ऐसी है जो वेद और शास्त्रो पर
अगाध श्रद्धा रखती है। यही एक जाति है जो न केवल आत्मा की अमरता पर
विश्वास रखती है बल्कि अनेकता मे एकता भी देखती है। ये ऐसे तत्व हैँ जिन्हे
आज नही तो कल, कल नही तो परसोँ सारा विश्व अपनाना चाहेगा, इनकी आवश्यकता
का अनुभव करेगा, एक दिन उसे आध्यात्म की ओर प्रवत्त होना ही पड़ेगा। उस समय
यही हिन्दू धर्म उसे मार्ग दिखलायेगा। यदि यही मिट गया तो क्या होगा?? मानव
जाति को फिर क, ख, ग..... से प्रारम्भ करना पड़ेगा।
लोग इसका खंडन
करते है बिना सोचे समझे ही, वे इसके शास्त्रो का मजाक उड़ाते है बिना उनकी
गहराई का अंदाजा किये हुए ही, वे इसकी उपेक्षा करते हैँ, बिना भलीभाँति
इसका अध्ययन किये हुये ही। अरे, हिन्दुत्व का परित्याग करके भारतीय राष्ट्रीयता जीवित नही रह सकती। राष्ट्रीयता का आधार सुरक्षित रहना चाहिये।
'उत्तमः सर्वधर्माणां हिन्दु धर्मोऽयमुच्चयते।
रक्ष्यः प्रचारणीयश्च सर्वलोकहितैषिभिः।।'
हिन्दु धर्म की शिक्षा क्या है? यह धर्म हमे औरो के मतो का मान करना
सिखलाता है, सहनशील होना बतलाता है। यह किसी पर आक्रमण करने की शिक्षा नही
देता पर साथ ही ये आदेश भी देता है कि यदि तुम्हारे धर्म पर कोई आक्रमण करे
तो धर्म की रक्षा के लिये प्राण तक न्योछावर करने मे संकोच न करो। आपको हिन्दू शक्ति को जगाना है जिससे कोई आप पर हाथ न उठाये, उस शक्ति को
जगाना है कि जिससे आप विश्व मे ऊँचा माथा करके इज्जत के साथ चल सके। संसार मे हिन्दुओ का कोई दूसरा देश भी नही है। अन्य जातियो के लिये तो
दूसरे देश भी है पर हिन्दुओ के लिये केवल हिन्दुस्तान है। उनके लिये यही
सर्वस्व है। यही उनकी मूर्तियो और मंदिरो का स्थान है।
अतः इस देश मे सुख शांति स्थापित करना हमारा दायित्व है, इसलिये हिन्दुओ! संगठित होकर अपने धर्म और देश की रक्षा करो!!
जय हिन्द!
वन्दे मातरम!
No comments:
Post a Comment