Bionrg International was established in March 2007 with a dedicated effort to excel standards of Health and wellness products. The Director of the company is Dr. Aryan Mittal specialized in Naturopathy (D.N.Y.S), Hypnotherapy (Hypnosis), Pranic Healing, Tibetan Yoga and Meditation.
Friday, 29 March 2013
Sunday, 24 March 2013
Wednesday, 20 March 2013
Friday, 15 March 2013
वृक्ष पूजन क्यों::
सर्वप्रथम किसी भी वृक्ष के पूजन के वैज्ञानिक महत्व को प्रस्तुत किया जा रहा है, जो अग्रलिखित है:-
(1)वृक्ष की कटाई पर रोक
(2)पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा
(3)पारिस्थिकी स्वतः सन्तुलन
(4)औषधिय गुणोँ से सहजता से परिचय
(5)मानसिक संन्तुष्टि
(6)आक्सिजन उत्पादन मेँ बढ़ावा एवं CO-2 गैस की वृध्दि पर रोक
(7)स्वच्छ पर्यावरण एवं परिष्कृत समाज की स्थापना
(8)स्वास्थ्य लाभ
(9)आदि-आदि……
उपरोक्त सर्वविदित वैज्ञानिक कारणोँ से हमारे पूर्वज भली-भाँति परिचित थे और इस तरह वे पारिस्थिकी सन्तुलन के लिए और उपरोल्लिखित उद्देश्योँ एवं महत्ताओँ की सार्थकता हेतू बड़े ही बौद्धिक ढंग से(मनोविज्ञान-Psychology) वृक्ष-पूजन के मार्ग का चयन किये॥ अन्ततः कालान्तर मेँ यहीँ वैज्ञानिक वृक्ष-पूजन हिन्दू धर्म का अभिन्न अंग बन गयी॥
तो यहीँ है अपनी भारतीय वैदिक संस्कृति…
कृण्वन्तो विश्वमार्यम्
समग्र विश्व को आर्य(श्रेष्ठ) बनाते चलो I
Thursday, 14 March 2013
गला और छाती की बीमारी का इलाज
गला और छाती की बीमारी का इलाज :
गले में किनती भी ख़राब से ख़राब बीमारी हो, कोई भी इन्फेक्शन हो, इसकी सबसे
अछि दावा है हल्दी । जैसे गले में दर्द है, खरास है , गले में खासी है,
गले में कफ जमा है, गले में टोनसीलाईटिस हो गया ; ये सब बिमारिओं में आधा
चम्मच कच्ची हल्दी का रस लेना और मुह खोल कर गले में डाल देना , और फिर
थोड़ी देर चुप होके बैठ जाना तो ये हल्दी गले में निचे उतर जाएगी लार के साथ
; और एक खुराक में ही सब बीमारी ठीक होगी दुबारा डालने की जरुरत नही । ये
छोटे बछो को तो जरुर करना ; बछो के टोन्सिल जब बहुत तकलीफ देते है न तो हम
ऑपरेशन करवाके उनको कटवाते है ; वो करने की जरुरत नही है हल्दी से सब ठीक
होता है।
गले और छाती से जुडी हुई कुछ बीमारिया है जैसे खासी ;
इसका एक इलाज तो कच्ची हल्दी का रस है जो गले में डालने से तुतंत ठीक हो
जाती है चाहे कितनी भी जोर की खासी हो । दूसरी दावा है अदरक , ये जो अदरक
है इसका छोटा सा टुकड़ा मुह में रखलो और टiफी की तरह चुसो खासी तुतंत बंध हो
जाएगी । अगर किसीको खासते खासते चेहरा लाल पड़ गया हो तो अदरक का रस ले लो
और उसमे थोड़ा पान का रस मिला लो दोनों एक एक चम्मच और उसमे मिलाना थोड़ा सा
गुड या सेहद । अब इसको थोडा गरम करके पी लेना तो जिसको खासते खासते चेहरा
लाल पड़ा है उसकी खासी एक मिनट में बंध हो जाएगी । और एक अछि दावा है , अनार
का रस गरम करके पियो तो खासी तुरन्त ठीक होती है । काली मिर्च है गोल
मिर्च इसको मुह में रख के चबालो , पीछे से गरम पानी पी लो तो खासी बंध हो
जाएगी, काली मिर्च को चुसो तो भी खासी बंध हो जाती है ।
छाती की
कुछ बिमारिया जैसे दमा, अस्थमा, ब्रोंकिओल अस्थमा, इन तीनो बीमारी का सबसे
अच्छा दवा है गाय मूत्र ; आधा कप गोमूत्र पियो सबेरे का ताजा ताजा तो दमा
ठीक होता है, अस्थमा ठीक होता है, ब्रोंकिओल अस्थमा ठीक होता है । और
गोमूत्र पिने से टीबी भी ठीक हो जाता है , लगातार पांच छे महीने पीना पड़ता
है । दमा अस्थमा का और एक अछि दावा है दालचीनी, इसका पाउडर रोज सुबह आधे
चम्मच खाली पेट गुड या सेहद मिलाके गरम पानी के साथ लेने से दमा अस्थमा ठीक
कर देती है ।
Tuesday, 12 March 2013
गौ माता की अद्भुत महिमा
गौ माता की अद्भुत महिमा -
महामहिमामयी गौ हमारी माता है उनकी बड़ी ही महिमा है वह सभी प्रकार से पूज्य है गौमाता की रक्षा और सेवा से बढकर कोई दूसरा महान पुण्य नहीं है .
१. गौमाता को कभी भूलकर भी भैस बकरी आदि पशुओ की भाति साधारण
नहीं समझना चाहिये गौ के शरीरमें "३३ करोड़ देवी देवताओ" का वास होता है.
गौमाता श्री कृष्ण की परमराध्या है, वे भाव सागर से पार लगाने वाली है.
२. गौ को अपने घर में रखकर तन-मन-धन से सेवा करनी चाहिये, ऐसा कहा गया है जो तन- मन-धन से गौकी सेवा करता है. तो गौ उसकी सारी मनोकामनाएँ पूरी करती है.
३. प्रातः काल उठते ही श्री भगवत्स्मरण करने के पश्चात यदि सबसे पहले गौमाता के दर्शन करने को मिल जाये तो इसे अपना सौभाग्य
मानना चाहिये.
४. यदि रास्ते में गौ आती हुई दिखे, तो उसे अपने दाहिने से जाने देना चाहिये
.
५. जो गौ माता को मारता है, और सताता है, या किसी भी प्रकार का कष्ट देता है, उसकी २१ पीढियाँ नर्क में जाती है.
६. गौ के सामने कभी पैर करके बैठना या सोना नहीं चाहिये, न ही उनके ऊपर
कभी थूकना चाहिये, जो ऐसा करता है वो महान पाप का भागी बनता है.
७. गौ माता को घर पर रखकर कभी भूखी प्यासी नहीं रखना चाहिये न ही गर्मी में धूप में बाँधना चाहिये ठण्ड में सर्दी में नहीं बाँधना चाहिये जो गाय को भूखी प्यासी रखता हैउसका कभी श्रेय नहीं होता.
८. नित्य प्रति भोजन बनाते समय सबसे पहले गाय के लिए रोटी बनानी चाहिये गौग्रास निकालना चाहिये.गौ ग्रास का बड़ा महत्व है.
९. गौओ के लिए चरणी बनानी चाहिये, और नित्य प्रति पवित्र ताजा ठंडा जल भरना चाहिये, ऐसा करने से मनुष्य की "२१ पीढियाँ" तर
जाती है .
१०. गाय उसी ब्राह्मण को दान देना चाहिये, जो वास्तव में गाय को पाले, और गाय की रक्षा सेवाकरे, यवनों को और कसाई को न बेचे. अनाधिकारी कोगाय दान देने से घोर पापलगता है .
११. गाय को कभी भी भूलकर अपनी जूठन नहीं खिलानी चाहिये, गाय साक्षात् जगदम्बा है. उन्हें जूठन खिलाकर कौन सुखी रह सकता है .
१२. नित्य प्रति गाय के परम पवित्र गोवर से रसोई लीपना और पूजा के स्थान को भी, गोमाता केगोबर से लीपकर शुद्ध करना चाहिये .
१३. गाय के दूध, घी, दही, गोवर, और गौमूत्र, इन पाँचो को 'पञ्चगव्य' के द्वारा मनुष्यों के पाप दूर होते है.
१४. गौ के "गोबर में लक्ष्मी जी" और "गौ मूत्र में गंगा जी" का वास होता है इसके अतिरिक्त दैनिक जीवन में उपयोग करने से पापों का नाश होता है, और गौमूत्र से रोगाणु नष्ट होते है.
१५. जिस देश में गौमाता के रक्त का एक भी बिंदु गिरता है, उस देश में किये गए योग, यज्ञ, जप, तप, भजन, पूजन , दान आदि सभी शुभ कर्म निष्फल हो जाते है .
१६ . नित्य प्रति गौ की पूजा आरती परिक्रमा करना चाहिये. यदि नित्य न हो सके तो"गोपाष्टमी" के दिन श्रद्धा से पूजा करनी चाहिये .
१७. गाय यदि किसी गड्डे में गिर गई है या दलदल में फस गई है, तो सब कुछ छोडकर सबसे पहले गौमाता को बचाना चाहिये गौ रक्षा में यदि प्राण भी देना पड़ जाये तो सहर्ष दे देने से गौलोक धाम
की प्राप्ति होती है.
१८ . गाय के बछड़े को बैलो को हलो में जोतकर उन्हें बुरी तरह से मारते है, काँटी चुभाते है, गाड़ी में जोतकर बोझा लादते है, उन्हें घोर नर्क
की प्राप्ति होती है .
१९. जो जल पीती और घास खाती, गाय को हटाता है वो पाप के भागी बनते है .
२०. यदि तीर्थ यात्रा की इच्छा हो, पर शरीर मेंबल या पास में पैसा न हो, तो गौ माता के दर्शन, गौ की पूजा, और परिक्रमा करने से, सारे तीर्थो का फल मिल जाता है, गाय सर्वतीर्थमयी है, गौ कीसेवा से घर बैठे ही ३३
देवी देवताओ की सेवा हो जाती है .
२१ . जो लोग गौ रक्षा के नाम पर या गौ शालाओ के नाम पर पैसा इकट्टा करते है, और उन पैसो से गौ रक्षा न करके स्वयं ही खा जाते है, उनसे बढकर पापी और दूसरा कौन होगा. गौमाता के निमित्त में आये हुए पैसो में से एक पाई भी कभी भूलकर अपने काम में नहीं लगानी चाहिये, जो ऐसा करता है उसे "नर्क
का कीड़ा" बनना पडता है . गौ माता की सेवा ही करने में ही सभी प्रकार
केश्रेय और कल्याण है..
गौ हत्या के खिलाफ हिन्दुस्तान
( गाय बचाओ भारत बचाओ )
महामहिमामयी गौ हमारी माता है उनकी बड़ी ही महिमा है वह सभी प्रकार से पूज्य है गौमाता की रक्षा और सेवा से बढकर कोई दूसरा महान पुण्य नहीं है .
१. गौमाता को कभी भूलकर भी भैस बकरी आदि पशुओ की भाति साधारण
नहीं समझना चाहिये गौ के शरीरमें "३३ करोड़ देवी देवताओ" का वास होता है.
गौमाता श्री कृष्ण की परमराध्या है, वे भाव सागर से पार लगाने वाली है.
२. गौ को अपने घर में रखकर तन-मन-धन से सेवा करनी चाहिये, ऐसा कहा गया है जो तन- मन-धन से गौकी सेवा करता है. तो गौ उसकी सारी मनोकामनाएँ पूरी करती है.
३. प्रातः काल उठते ही श्री भगवत्स्मरण करने के पश्चात यदि सबसे पहले गौमाता के दर्शन करने को मिल जाये तो इसे अपना सौभाग्य
मानना चाहिये.
४. यदि रास्ते में गौ आती हुई दिखे, तो उसे अपने दाहिने से जाने देना चाहिये
.
५. जो गौ माता को मारता है, और सताता है, या किसी भी प्रकार का कष्ट देता है, उसकी २१ पीढियाँ नर्क में जाती है.
६. गौ के सामने कभी पैर करके बैठना या सोना नहीं चाहिये, न ही उनके ऊपर
कभी थूकना चाहिये, जो ऐसा करता है वो महान पाप का भागी बनता है.
७. गौ माता को घर पर रखकर कभी भूखी प्यासी नहीं रखना चाहिये न ही गर्मी में धूप में बाँधना चाहिये ठण्ड में सर्दी में नहीं बाँधना चाहिये जो गाय को भूखी प्यासी रखता हैउसका कभी श्रेय नहीं होता.
८. नित्य प्रति भोजन बनाते समय सबसे पहले गाय के लिए रोटी बनानी चाहिये गौग्रास निकालना चाहिये.गौ ग्रास का बड़ा महत्व है.
९. गौओ के लिए चरणी बनानी चाहिये, और नित्य प्रति पवित्र ताजा ठंडा जल भरना चाहिये, ऐसा करने से मनुष्य की "२१ पीढियाँ" तर
जाती है .
१०. गाय उसी ब्राह्मण को दान देना चाहिये, जो वास्तव में गाय को पाले, और गाय की रक्षा सेवाकरे, यवनों को और कसाई को न बेचे. अनाधिकारी कोगाय दान देने से घोर पापलगता है .
११. गाय को कभी भी भूलकर अपनी जूठन नहीं खिलानी चाहिये, गाय साक्षात् जगदम्बा है. उन्हें जूठन खिलाकर कौन सुखी रह सकता है .
१२. नित्य प्रति गाय के परम पवित्र गोवर से रसोई लीपना और पूजा के स्थान को भी, गोमाता केगोबर से लीपकर शुद्ध करना चाहिये .
१३. गाय के दूध, घी, दही, गोवर, और गौमूत्र, इन पाँचो को 'पञ्चगव्य' के द्वारा मनुष्यों के पाप दूर होते है.
१४. गौ के "गोबर में लक्ष्मी जी" और "गौ मूत्र में गंगा जी" का वास होता है इसके अतिरिक्त दैनिक जीवन में उपयोग करने से पापों का नाश होता है, और गौमूत्र से रोगाणु नष्ट होते है.
१५. जिस देश में गौमाता के रक्त का एक भी बिंदु गिरता है, उस देश में किये गए योग, यज्ञ, जप, तप, भजन, पूजन , दान आदि सभी शुभ कर्म निष्फल हो जाते है .
१६ . नित्य प्रति गौ की पूजा आरती परिक्रमा करना चाहिये. यदि नित्य न हो सके तो"गोपाष्टमी" के दिन श्रद्धा से पूजा करनी चाहिये .
१७. गाय यदि किसी गड्डे में गिर गई है या दलदल में फस गई है, तो सब कुछ छोडकर सबसे पहले गौमाता को बचाना चाहिये गौ रक्षा में यदि प्राण भी देना पड़ जाये तो सहर्ष दे देने से गौलोक धाम
की प्राप्ति होती है.
१८ . गाय के बछड़े को बैलो को हलो में जोतकर उन्हें बुरी तरह से मारते है, काँटी चुभाते है, गाड़ी में जोतकर बोझा लादते है, उन्हें घोर नर्क
की प्राप्ति होती है .
१९. जो जल पीती और घास खाती, गाय को हटाता है वो पाप के भागी बनते है .
२०. यदि तीर्थ यात्रा की इच्छा हो, पर शरीर मेंबल या पास में पैसा न हो, तो गौ माता के दर्शन, गौ की पूजा, और परिक्रमा करने से, सारे तीर्थो का फल मिल जाता है, गाय सर्वतीर्थमयी है, गौ कीसेवा से घर बैठे ही ३३
देवी देवताओ की सेवा हो जाती है .
२१ . जो लोग गौ रक्षा के नाम पर या गौ शालाओ के नाम पर पैसा इकट्टा करते है, और उन पैसो से गौ रक्षा न करके स्वयं ही खा जाते है, उनसे बढकर पापी और दूसरा कौन होगा. गौमाता के निमित्त में आये हुए पैसो में से एक पाई भी कभी भूलकर अपने काम में नहीं लगानी चाहिये, जो ऐसा करता है उसे "नर्क
का कीड़ा" बनना पडता है . गौ माता की सेवा ही करने में ही सभी प्रकार
केश्रेय और कल्याण है..
गौ हत्या के खिलाफ हिन्दुस्तान
( गाय बचाओ भारत बचाओ )
Monday, 11 March 2013
Sunday, 10 March 2013
हिंदुओं को तिलक क्यों धारण करना चाहिए ?
हिंदुओं को तिलक क्यों धारण करना चाहिए ?
शायद भारत के सिवा और कहीं भी मस्तक पर तिलक लगाने की प्रथा प्रचलित नहीं है। यह रिवाज अत्यंत प्राचीन है। माना जाता है कि मनुष्य के मस्तक के मध्य में विष्णु भगवान का निवास होता है, और तिलक ठीक इसी स्थान पर लगाया जाता है।
मनोविज्ञान की दृष्टि से भी तिलक लगाना उपयोगी माना गया है। माथा चेहरे का केंद्रीय भाग होता है, जहां सबकी नजर अटकती है। उसके मध्य में तिलक लगाकर, विशेषकर स्त्रियों में, देखने वाले की दृष्टि को बांधे रखने का प्रयत्न किया जाता है।
स्त्रियां लाल कुंकुम का तिलक लगाती हैं। यह भी बिना प्रयोजन नहीं है। लाल रंग ऊर्जा एवं स्फूर्ति का प्रतीक होता है। तिलक स्त्रियों के सौंदर्य में अभिवृद्धि करता है। तिलक लगाना देवी की आराधना से भी जुड़ा है। देवी की पूजा करने के बाद माथे पर तिलक लगाया जाता है। तिलक देवी के आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है।
तिलक का महत्व
हिन्दु परम्परा में मस्तक पर तिलक लगाना शूभ माना जाता है इसे सात्विकता का प्रतीक माना जाता है विजयश्री प्राप्त करने के उद्देश्य रोली, हल्दी, चन्दन या फिर कुम्कुम का तिलक या कार्य की महत्ता को ध्यान में रखकर, इसी प्रकार शुभकामनाओं के रुप में हमारे तीर्थस्थानों पर, विभिन्न पर्वो-त्यौहारों, विशेष अतिथि आगमन पर आवाजाही के उद्देश्य से भी लगाया जाता है ।
मस्तिष्क के भ्रु-मध्य ललाट में जिस स्थान पर टीका या तिलक लगाया जाता है यह भाग आज्ञाचक्र है । शरीर शास्त्र के अनुसार पीनियल ग्रन्थि का स्थान होने की वजह से, जब पीनियल ग्रन्थि को उद्दीप्त किया जाता हैं, तो मस्तष्क के अन्दर एक तरह के प्रकाश की अनुभूति होती है । इसे प्रयोगों द्वारा प्रमाणित किया जा चुका है हमारे ऋषिगण इस बात को भलीभाँति जानते थे पीनियल ग्रन्थि के उद्दीपन से आज्ञाचक्र का उद्दीपन होगा । इसी वजह से धार्मिक कर्मकाण्ड, पूजा-उपासना व शूभकार्यो में टीका लगाने का प्रचलन से बार-बार उस के उद्दीपन से हमारे शरीर में स्थूल-सूक्ष्म अवयन जागृत हो सकें । इस आसान तरीके से सर्वसाधारण की रुचि धार्मिकता की ओर, आत्मिकता की ओर, तृतीय नेत्र जानकर इसके उन्मीलन की दिशा में किया गयचा प्रयास जिससे आज्ञाचक्र को नियमित उत्तेजना मिलती रहती है ।
तन्त्र शास्त्र के अनुसार माथे को इष्ट इष्ट देव का प्रतीक समझा जाता है हमारे इष्ट देव की स्मृति हमें सदैव बनी रहे इस तरह की धारणा क ध्यान में रखकर, ताकि मन में उस केन्द्रबिन्दु की स्मृति हो सकें । शरीर व्यापी चेतना शनैः शनैः आज्ञाचक्र पर एकत्रित होती रहे । चुँकि चेतना सारे शरीर में फैली रहती है । अतः इसे तिलक या टीके के माधअयम से आज्ञाचक्र पर एकत्रित कर, तीसरे नेत्र को जागृत करा सकें ताकि हम परामानसिक जगत में प्रवेश कर सकें ।
तिलक का हमारे जीवन में कितना महत्व है शुभघटना से लेकर अन्य कई धार्मिक अनुष्ठानों, संस्कारों, युद्ध लडने जाने वाले को शुभकामनाँ के तौर पर तिलक लगाया जाता है वे प्रसंग जिन्हें हम हमारी स्मृति-पटल से हटाना नही चाहते इन शुशियों को मस्तिष्क में स्थआई तौर पर रखने, शुभ-प्रसंगों इत्यादि के लिए तिलक लगाया जाता है हमारे जीवन में तिलक का बडा महत्व है तत्वदर्शन व विज्ञान भी इसके प्रचलन को शिक्षा को बढाने व हमारे हमारे जीवन सरल व सार्थकता उतारने के जरुरत है ?।
तिलक हिंदू संस्कृति में एक पहचान चिन्ह का काम करता है। तिलक केवल धार्मिक मान्यता नहीं है बल्कि कई वैज्ञानिक कारण भी हैं इसके पीछे। तिलक केवल एक तरह से नहीं लगाया जाता। हिंदू धर्म में जितने संतों के मत हैं, जितने पंथ है, संप्रदाय हैं उन सबके अपने अलग-अलग तिलक होते हैं।
शायद भारत के सिवा और कहीं भी मस्तक पर तिलक लगाने की प्रथा प्रचलित नहीं है। यह रिवाज अत्यंत प्राचीन है। माना जाता है कि मनुष्य के मस्तक के मध्य में विष्णु भगवान का निवास होता है, और तिलक ठीक इसी स्थान पर लगाया जाता है।
मनोविज्ञान की दृष्टि से भी तिलक लगाना उपयोगी माना गया है। माथा चेहरे का केंद्रीय भाग होता है, जहां सबकी नजर अटकती है। उसके मध्य में तिलक लगाकर, विशेषकर स्त्रियों में, देखने वाले की दृष्टि को बांधे रखने का प्रयत्न किया जाता है।
स्त्रियां लाल कुंकुम का तिलक लगाती हैं। यह भी बिना प्रयोजन नहीं है। लाल रंग ऊर्जा एवं स्फूर्ति का प्रतीक होता है। तिलक स्त्रियों के सौंदर्य में अभिवृद्धि करता है। तिलक लगाना देवी की आराधना से भी जुड़ा है। देवी की पूजा करने के बाद माथे पर तिलक लगाया जाता है। तिलक देवी के आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है।
तिलक का महत्व
हिन्दु परम्परा में मस्तक पर तिलक लगाना शूभ माना जाता है इसे सात्विकता का प्रतीक माना जाता है विजयश्री प्राप्त करने के उद्देश्य रोली, हल्दी, चन्दन या फिर कुम्कुम का तिलक या कार्य की महत्ता को ध्यान में रखकर, इसी प्रकार शुभकामनाओं के रुप में हमारे तीर्थस्थानों पर, विभिन्न पर्वो-त्यौहारों, विशेष अतिथि आगमन पर आवाजाही के उद्देश्य से भी लगाया जाता है ।
मस्तिष्क के भ्रु-मध्य ललाट में जिस स्थान पर टीका या तिलक लगाया जाता है यह भाग आज्ञाचक्र है । शरीर शास्त्र के अनुसार पीनियल ग्रन्थि का स्थान होने की वजह से, जब पीनियल ग्रन्थि को उद्दीप्त किया जाता हैं, तो मस्तष्क के अन्दर एक तरह के प्रकाश की अनुभूति होती है । इसे प्रयोगों द्वारा प्रमाणित किया जा चुका है हमारे ऋषिगण इस बात को भलीभाँति जानते थे पीनियल ग्रन्थि के उद्दीपन से आज्ञाचक्र का उद्दीपन होगा । इसी वजह से धार्मिक कर्मकाण्ड, पूजा-उपासना व शूभकार्यो में टीका लगाने का प्रचलन से बार-बार उस के उद्दीपन से हमारे शरीर में स्थूल-सूक्ष्म अवयन जागृत हो सकें । इस आसान तरीके से सर्वसाधारण की रुचि धार्मिकता की ओर, आत्मिकता की ओर, तृतीय नेत्र जानकर इसके उन्मीलन की दिशा में किया गयचा प्रयास जिससे आज्ञाचक्र को नियमित उत्तेजना मिलती रहती है ।
तन्त्र शास्त्र के अनुसार माथे को इष्ट इष्ट देव का प्रतीक समझा जाता है हमारे इष्ट देव की स्मृति हमें सदैव बनी रहे इस तरह की धारणा क ध्यान में रखकर, ताकि मन में उस केन्द्रबिन्दु की स्मृति हो सकें । शरीर व्यापी चेतना शनैः शनैः आज्ञाचक्र पर एकत्रित होती रहे । चुँकि चेतना सारे शरीर में फैली रहती है । अतः इसे तिलक या टीके के माधअयम से आज्ञाचक्र पर एकत्रित कर, तीसरे नेत्र को जागृत करा सकें ताकि हम परामानसिक जगत में प्रवेश कर सकें ।
तिलक का हमारे जीवन में कितना महत्व है शुभघटना से लेकर अन्य कई धार्मिक अनुष्ठानों, संस्कारों, युद्ध लडने जाने वाले को शुभकामनाँ के तौर पर तिलक लगाया जाता है वे प्रसंग जिन्हें हम हमारी स्मृति-पटल से हटाना नही चाहते इन शुशियों को मस्तिष्क में स्थआई तौर पर रखने, शुभ-प्रसंगों इत्यादि के लिए तिलक लगाया जाता है हमारे जीवन में तिलक का बडा महत्व है तत्वदर्शन व विज्ञान भी इसके प्रचलन को शिक्षा को बढाने व हमारे हमारे जीवन सरल व सार्थकता उतारने के जरुरत है ?।
तिलक हिंदू संस्कृति में एक पहचान चिन्ह का काम करता है। तिलक केवल धार्मिक मान्यता नहीं है बल्कि कई वैज्ञानिक कारण भी हैं इसके पीछे। तिलक केवल एक तरह से नहीं लगाया जाता। हिंदू धर्म में जितने संतों के मत हैं, जितने पंथ है, संप्रदाय हैं उन सबके अपने अलग-अलग तिलक होते हैं।
Friday, 8 March 2013
एनर्जी या साइड इफेक्ट्स ?
एनर्जी या साइड इफेक्ट्स ?
Summers की दस्तक के साथ ही energy drinks का बाज़ार गर्मा गया है, कहीँ ये सेहत से खिलवाड़ तो नहीँ ?
.
According to a survey:-
82% youngsters use to consume energy drinks for extra energy..
61% for better hydration..
40% for taste..
.
ये हैँ नुकसान:-
1. कैफीन की अधिक मात्रा Heart और Nervous system को प्रभावित कर सकती है । Hydration की problem भी हो सकती है ।
2. चक्कर आना, चिड़चिड़ापन, उबकाई, तनाव, घबराहट, थकान, सिरदर्द, उल्टी होना, नीँद न आना, सीने मेँ जकड़न महसूस होना आदि ।
3. शुगर की अधिक मात्रा से कैलोरी बढ़ने के साथ वेट भी बढ़ सकता है ।
4. लगातार सेवन से एडिक्शन की समस्या हो सकती है ।
.
ENERY के उपाय :-
1.उचित नीँद लेँ ।
2.रोजाना exercise करें ।
3.Healthy diet लेँ ।
4.नीँबू की शिकंजी, नारियल पानी, मौसमी का juice ले सकते हैँ ।
5.संतरा खाएं ।
6.अंजीर किशमिश भी थोड़ी मात्रा मेँ ले सकते हैँ ।
7.Dehydration से बचने के लिए खूब पानी पीएं ।
8.साथ ही अगर आप छाछ, लस्सी और दूध का सेवन करेँ तो अच्छा है ।
France & Denmark have banned
it from the country...
RED BULL - slow death ...
Do NOT drink this drink anymore!
Pay attention...read everything...
via:Live Love Fruit
As a public health safety, please pass on this email to all the contacts in your address book especially those with teenage children.
This drink is SOLD in all the supermarkets IN OUR country and our children ARE CONSUMING IT ON A TRIAL BASIS. IT can be FATAL.
RED BULL was created to stimulate the brains in people who are subjected to great physical force and in stress coma and never to be consumed like an innocent drink or soda pop.
RED BULL IS the energizer DRINK that is commercialized world-wide with its slogan: "It increases endurance, awakens the concentration capacity and the speed of reaction, offers more energy and improves the mood. All this can be found in a can of RED BULL, the power drink of the millennium."
RED BULL has managed to arrive in almost 100 countries worldwide. The RED BULL logo is targeted at young people and sportsmen, two attractive segments that have been captivated by the stimulus that the drink provides.
It was created by Dietrich Mateschitz, an industrialist of Austrian origin who discovered the drink by chance. It happened during a business trip to Hong Kong , when he was working at a factory that manufactured toothbrushes.
The liquid, based on a formula that contained caffeine and taurine, caused a rage in that country. Imagine the grand success of this drink in Europe where the product still did not exist, besides it was a superb opportunity to become an entrepreneur.
BUT THE TRUTH ABOUT THIS DRINK IS ANOTHER THING
FRANCE and DENMARK have just prohibited it as a cocktail of death, due to its vitamin components mixed with GLUCURONOLACTONE ' - a highly-dangerous chemical, which was developed by the United States Department of Defense during the sixties to stimulate the moral of the troops based in VIETNAM, which acted like a hallucinogenic drug that calmed the stress of the war.
But their effects in the organism were so devastating, that it was discontinued, because of the high index of cases of migraines, cerebral tumors and diseases of the liver that was evident in the soldiers who consumed it.
And in spite of it, in the can of RED BULL you can still find as one of its components: GLUCURONOLACTONE, categorized medically as a stimulant. But what it does not say on the can of RED BULL are the consequences of its consumption, and that has forced a series of WARNINGS...
1. It is dangerous to take it if you do not engage in physical exercise afterwards, since its energizing function accelerates the heart rate and can cause a sudden attack.
2. You run the risk of undergoing a cerebral hemorrhage, because RED BULL contains components that dilute the blood so that the heart utilizes less energy to pump the blood, and thus be able to deliver physical force with less effort being exerted.
3. It is prohibited to mix RED BULL with alcohol, because the mixture turns the drink into a " Deadly Bomb " that attacks the liver directly, causing the affected area never to regenerate anymore.
4. One of the main components of RED BULL is the B12 vitamin, used in medicine to recover patients who are in a coma ; from here the hypertension and the state of excitement which is experienced after taking it, as if you were in a drunken state.
5. The regular consumption of RED BULL triggers off symptoms in the form of a series of irreversible nervous and neuronal diseases.
CONCLUSION: It is a drink that should be prohibited in the entire world as when it is mixed with alcohol it creates a TIME BOMB for the human body, mainly between innocent adolescents and adults with little experience
it from the country...
RED BULL - slow death ...
Do NOT drink this drink anymore!
Pay attention...read everything...
via:Live Love Fruit
As a public health safety, please pass on this email to all the contacts in your address book especially those with teenage children.
This drink is SOLD in all the supermarkets IN OUR country and our children ARE CONSUMING IT ON A TRIAL BASIS. IT can be FATAL.
RED BULL was created to stimulate the brains in people who are subjected to great physical force and in stress coma and never to be consumed like an innocent drink or soda pop.
RED BULL IS the energizer DRINK that is commercialized world-wide with its slogan: "It increases endurance, awakens the concentration capacity and the speed of reaction, offers more energy and improves the mood. All this can be found in a can of RED BULL, the power drink of the millennium."
RED BULL has managed to arrive in almost 100 countries worldwide. The RED BULL logo is targeted at young people and sportsmen, two attractive segments that have been captivated by the stimulus that the drink provides.
It was created by Dietrich Mateschitz, an industrialist of Austrian origin who discovered the drink by chance. It happened during a business trip to Hong Kong , when he was working at a factory that manufactured toothbrushes.
The liquid, based on a formula that contained caffeine and taurine, caused a rage in that country. Imagine the grand success of this drink in Europe where the product still did not exist, besides it was a superb opportunity to become an entrepreneur.
BUT THE TRUTH ABOUT THIS DRINK IS ANOTHER THING
FRANCE and DENMARK have just prohibited it as a cocktail of death, due to its vitamin components mixed with GLUCURONOLACTONE ' - a highly-dangerous chemical, which was developed by the United States Department of Defense during the sixties to stimulate the moral of the troops based in VIETNAM, which acted like a hallucinogenic drug that calmed the stress of the war.
But their effects in the organism were so devastating, that it was discontinued, because of the high index of cases of migraines, cerebral tumors and diseases of the liver that was evident in the soldiers who consumed it.
And in spite of it, in the can of RED BULL you can still find as one of its components: GLUCURONOLACTONE, categorized medically as a stimulant. But what it does not say on the can of RED BULL are the consequences of its consumption, and that has forced a series of WARNINGS...
1. It is dangerous to take it if you do not engage in physical exercise afterwards, since its energizing function accelerates the heart rate and can cause a sudden attack.
2. You run the risk of undergoing a cerebral hemorrhage, because RED BULL contains components that dilute the blood so that the heart utilizes less energy to pump the blood, and thus be able to deliver physical force with less effort being exerted.
3. It is prohibited to mix RED BULL with alcohol, because the mixture turns the drink into a " Deadly Bomb " that attacks the liver directly, causing the affected area never to regenerate anymore.
4. One of the main components of RED BULL is the B12 vitamin, used in medicine to recover patients who are in a coma ; from here the hypertension and the state of excitement which is experienced after taking it, as if you were in a drunken state.
5. The regular consumption of RED BULL triggers off symptoms in the form of a series of irreversible nervous and neuronal diseases.
CONCLUSION: It is a drink that should be prohibited in the entire world as when it is mixed with alcohol it creates a TIME BOMB for the human body, mainly between innocent adolescents and adults with little experience
महाशिवरात्रि कल: इस विधि से करें भगवान शिव की पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि कल: इस विधि से करें भगवान शिव की पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त
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महाशिवरात्रि(इस बार 10 मार्च, रविवार) के दिन भगवान शिव की पूजा करने से
विशेष फल मिलता है। जो व्यक्ति इस दिन भगवान शिव के निमित्त व्रत रखता है
उसे अक्षय पुण्य मिलता है। धर्म शास्त्रों में महाशिवरात्रि व्रत के संबंध
में विस्तृत उल्लेख है। उसके अनुसार महाशिवरात्रि का व्रत इस प्रकार करें-
शिवपुराण के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन व्रती(व्रत करने वाला) सुबह जल्दी
उठकर स्नान संध्या करके मस्तक पर भस्म का त्रिपुण्ड तिलक और गले में
रुद्राक्ष की माला धारण कर श्वि मंदिर में जाकर शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन
करें। इसके बाद श्रृद्धापूर्वक व्रत का संकल्प इस प्रकार लें-
शिवरात्रिव्रतं ह्येतत् करिष्येहं महाफलम्।
निर्विघ्नमस्तु मे चात्र त्वत्प्रसादाज्जगत्पते।।
यह कहकर हाथ में फूल, चावल व जल लेकर उसे शिवलिंग पर अर्पित करते हुए यह श्लोक बोलें-
देवदेव महादेव नीलकण्ठ नमोस्तु ते।
कर्तुमिच्छाम्यहं देव शिवरात्रिव्रतं तव।।
तव प्रसादाद्देवेश निर्विघ्नेन भवेदिति।
कामाद्या: शत्रवो मां वै पीडां कुर्वन्तु नैव हि।।
रात्रिपूजा
व्रती दिनभर शिवमंत्र (ऊँ नम: शिवाय) का जप करे तथा पूरा दिन निराहार रहे।
(रोगी, अशक्त और वृद्ध दिन में फलाहार लेकर रात्रि पूजा कर सकते हैं।)
धर्मग्रंथों में रात्रि के चारों प्रहरों की पूजा का विधान है। सायंकाल
स्नान करके किसी शिवमंदिर में जाकर अथवा घर पर ही (यदि नर्मदेश्वर या अन्य
कोई उत्तम शिवलिंग हो) पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके तिलक एवं
रुद्राक्ष धारण करके पूजा का संकल्प इस प्रकार लें-
ममाखिलपापक्षयपूर्वकसलाभीष्टसिद ्धये शिवप्रीत्यर्थं च शिवपूजनमहं करिष्ये
व्रती को फल, पुष्प, चंदन, बिल्वपत्र, धतूरा, धूप, दीप और नैवेद्य से
चारों प्रहर की पूजा करनी चाहिए। दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अलग-अलग
तथा सबको एक साथ मिलाकर पंचामृत से शिव को स्नान कराकर जल से अभिषेक करें।
चारों प्रहर के पूजन में शिवपंचाक्षर(नम: शिवाय) मंत्र का जप करें। भव,
शर्व, रुद्र, पशुपति, उग्र, महान्, भीम और ईशान, इन आठ नामों से पुष्प
अर्पित कर भगवान की आरती व परिक्रमा करें। अंत में भगवान से प्रार्थना इस
प्रकार करें-
नियमो यो महादेव कृतश्चैव त्वदाज्ञया।
विसृत्यते मया स्वामिन् व्रतं जातमनुत्तमम्।।
व्रतेनानेन देवेश यथाशक्तिकृतेन च।
संतुष्टो भव शर्वाद्य कृपां कुरु ममोपरि।।
अगले दिन सुबह पुन: स्नानकर भगवान शंकर की पूजा करके पश्चात व्रत खोलना चाहिए।
पूजन के शुभ मुहूर्त
सुबह 8:10 से 9:40 बजे तक (चर)
सुबह 9:40 से 11:08 बजे तक (लाभ)
सुबह 11:08 से दोपहर 12:30 बजे तक (अमृत)
दोपहर 2:06 से 3:35 बजे तक (शुभ)
शाम 6:32 से रात 8:00 बजे तक(शुभ)
रात 8:00 से 9:30 बजे तक (अमृत)
रात 9:30 से 11:00 बजे तक (चर)
10 Little Habits That Can Destroy Your BRAIN
10 Little Habits That Can Destroy Your BRAIN
It’s good if you re-examine the little habits that you think is simple
but have negative impact on your brain, those habits are:
1. Skipping Breakfast - Many people underestimate the breakfast. A
nd do not consume anything in the morning and caused the decline in
blood sugar levels. This resulted in a lack of input of nutrients to the
brain which finally ended in the decline of the brain. The best
breakfast in the morning is not a heavy foods such as special burger, but a glass of water and a glass
of fresh fruit juice is enough. Compact and useful
for the body!
2. Gluttony - Too much to eat can harden the blood vessel of the brain
that usually leads to the decline of mental powers. So eat a normal
portion. Familiarize
yourself with how to help stop eating before
you’re stuffed.
3. Smoking - If the cigarette has a lot of bad effects, everyone would already know. And there’s one more bad
effects of cigarettes that were uncovered here.
Smoking was very frightening effect on the brain!
Imagine, the human brain can gradually shrink and
eventually loses its functions as diligent suck it smoky. No doubt the
old time when even young ones, we are prone to Alzheimer (Alzheimer is a
dementia disease).
4. Consuming Too Much Sugar - Too much
sugar intake will prevent the absorption of protein and nutrients that
makes the body get malnutrition and disrupted brain development.
Therefore, reduce the consumption of your favorite sweets.
5.
Air Pollution - The brain is part of the body absorbs the most air. Too
long in the environment by polluting the air makes the brain works
inefficiently.
6. Sleep Deprivation - Sleep gives the brain a
chance to rest. Often neglect to sleep makes the brain cells to die from
exhaustion. But do not get too much sleep because
it can make you become lazy and slow. Should
sleep 6-8 hours a day for healthy and fit.
7. Covering one’s head during sleep - Sleeping with the head covered is
a bad habit that is very dangerous because the carbon dioxide produced
during sleep makes the brain concentrated with pollutant. Do not be
surprised if over time the brain becomes damaged.
8. Thinking
Too Hard - When sick Working hard or studying when the body condition is
not fit also makes the ineffectiveness of the brain. Already know You
are not healthy, you should rest and not impose your brain.
9.
Lack of Brain Stimulation - Thinking is the best way to train the brain
works.Less thought would make the brain shrink and ultimately does not
work optimally. Diligent
reading, listening to music and playing (chess, Scrabble, etc.) will make your brain used to think
actively and creatively.
10. Rarely Talking - Intellectual conversations usually take a good
effect on the brain. So do not be too proud to be quiet. Quality
Chatting is very good for your health.
नींद न आने की समस्या हो तो ये नुस्खे अपनाएं
नींद न आने की समस्या हो तो ये नुस्खे अपनाएं
हमारे शरीर के लिए जितना जरूरी भोजन है, दिमाग के लिए उससे अधिक नींद होती है, जो इंसान भरपूर नींद लेता है उसका मानसिक विकास भी उतना ही अच्छा होता है। लेकिन आजकल नींद न आने के कारण ज्यादातर लोग परेशान रहते हैं। अकारण नींद न आना ही अनिद्रा की बीमारी है। नींद में उपयोगी कुछ घरेलू नुस्खे निम्र प्रकार है।
- अनिद्रा रोग में दूध का सेवन बहुत लाभकारी होता है। रात को सोने से पहले एक गिलास गुनगुना दूध पीएं, इससे शरीर को तुरंत शक्ति प्राप्त होती है। जिससे शरीर में स्फूर्ति आती है। मस्तिष्क तरोताजा हो जाता है परिणाम स्वरूप नींदआसानी से आ जाती है।
-मीठे पदार्थो का सेवन नींद लाने में सहायक होता है। रोजाना रात को सोने से पहले पचास ग्राम गुड़ या कोई मीठी चीज खाने से अनिद्रा रोग का नाश होता है लेकिन डाइबिटीज के मरीजों को ये प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- प्याज को भूनकर उसे पीसकर रस निकाल लीजिए और दो बड़े चम्मच रस नियमित पीजिए, इससे नींद न आने की शिकायत दूर हो जाती है।
- सोने से करीब दो घंटे पहले रात का भोजन करना चाहिए। कभी भी खाना खाकर तुरंत नहीं सोना चाहिए और ना ही भारी-भरकम भोजन करना चाहिए, हमेशा रात का खाना हल्का होना चाहिए।
- सुबह जल्दी उठकर किसी पार्क में घुमने जाएं, योगा करें। सुबह की धूप के नियमित सेवन से मिलैटोनिन नामक हारमोन के निर्माण में वृद्धि होती है, जो गहरी नींद में सहायक होता है। दोपहर के बाद चाय-काफी न लें। जिन लोगों को नींद न आने की परेशानी होती हैं वे लोग कैफीन के प्रति संवेदनशील होने के कारण चाय-काफी पीने से बचते हैं और अगर कहीं यह परेशानी आप को भी है तो आप भी इससे बचें।
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